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Narak Chaturdashi Significance: जानिए क्या है नरक चतुर्दशी का महत्व

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Narak Chaturdashi Significance

Narak Chaturdashi Significance: दिवाली से पहले पड़ने वाला महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार नरक चतुर्दशी है, जो पूरे भारत में मनाया जाता है। इसे 'छोटी दिवाली' (Choti Diwali) के नाम से भी जाना जाता है। यह मृत्यु के देवता को समर्पित एक त्योहार है जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में "यमराज" (Yamraj) के नाम से जाना जाता है। 

यह वह दिन भी है जब भगवान कृष्ण ने सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर नामक राक्षस अंत किया था। यह खास दिन कई धार्मिक अनुष्ठानों, मान्यताओं और त्योहारों से जुड़ा हुआ है। रूप चौदस, भूत चतुर्दशी, नरक निवारण चतुर्दशी, छोटी दिवाली आदि नरक चतुर्दशी के कुछ अन्य नाम हैं। इसके अलावा और क्या है नरक चतुर्दशी का महत्व आइए जानते हैं...

नरक चतुर्दशी का महत्व (Narak Chaturdashi Importance)

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विधि विधान से पूजा करने व्यक्ति को उसके सभी पापों से छुटकारा मिलता है। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, रूप चौदस और काली चतुर्दशी आदि नामों से जाना जाता है। 

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इस दिन दीपदान को भी विशेष महत्व दिया जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान करने से अकाल मृत्यु और यमराज का भय समाप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान करने वाले व्यक्ति को नर्क के दोषों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन के सभी पाप समाप्त होते हैं। 

इस दिन तिल के तेल की मालिस करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से शरीर स्वस्थ रहता है। नरक चतुर्दशी को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लेप और उबटन करने से रूप में निखार आता है। माना जाता है कि इस दिन जिस घर के मुख्य द्वार पर दीपक लाया जाता है उस घर में यमराज कभी भी प्रवेश नहीं कर पाते।


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