Holi Significance: होली 'फाल्गुन' मास (Falgun Month) में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, होली पूर्णिमा (Purnima) के दिन मनाई जाती है और यह सर्दियों के मौसम के अंत का प्रतीक है। यह त्योहार बहुत सारे रंगों, पानी की फुहारों और पानी के गुब्बारों और चारों ओर गायन और नृत्य के साथ मनाया जाता है।
होली का यह त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है। जिसके पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर इस त्योहार को मनाते हैं। होली का यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा भी होली का यह त्योहार बहुत ही अपने आप में बहुत महत्व रखता है तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं होली का महत्व...
होली का महत्व (Holi Ka Mahatva)
हिंदू धर्म में फाल्गुन मास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इस महीने में रंगों का त्योहार यानी होली मनाई जाती है। होली का त्योहार जीवन में नया रंग, उत्साह और उमंग लेकर आता है। उत्तर प्रदेश के मथुरा में तो होली का त्योहार एक सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाता है। मथुरा की होली देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी मशहूर है। यहां की होली को मनाने के लिए लोग देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आते हैं। इसके अलावा बरसाना में लट्ठमार होली खेली जाती है। जहां पुरुष महिलाओं को रंग लगाती हैं और महिलाएं उन पुरुषों को डंडे से पीटती हैं।
होली का यह त्योहार असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है।जिसकी एक पौराणिक मान्यता भी है जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप जो एक राक्षस था और उसकी बहन होलिका को ब्रह्म देव के द्वारा अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था। उस राक्षस के एक पुत्र भी था। जिसका नाम प्रह्लाद था और वह भगवान विष्णु का बहुत ही बड़ा भक्त था। जिसकी वजह से हिरण्यकश्यप अपने पुत्र से घृणा करता था।
उसने अपने पुत्र को मारने का कई बार प्रयास किया लेकिन वह हर बार असफल रहा। जिसके बाद हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अग्नि बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को तो कुछ भी नहीं हुआ और होलिका ही उस अग्नि में भस्म हो गई। इसी कारण से होली का त्योहार बड़े ही हर्ष के साथ मनाया जाता है और होलिका दहन के समय लोग अग्नि में अहंकार और बुराईयों को आदि का जला देते हैं।
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