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Shitala Satam Importance: जानिए क्या है शीतला सातम का महत्व

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Shitala Satam Importance

Shitala Satam Importance: शीतला सातम देवी शीतला को समर्पित दिन है। यह त्योहार ज्यादातर गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। शीतला सातम 'बसोड़ा' और 'शीतला अष्टमी' (Basoda and Sheetala Ashtami) के रीति-रिवाजों के बराबर है, जो होली के बाद उत्तरी भारत में देखे जाते हैं। शीतला सातम कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) से एक सप्ताह पहले आता है। इसलिए, पश्चिमी कैलेंडर के अनुसार, यह अगस्त के महीने में मनाया जाता है। इसके अलावा और क्या है शीतला सातम का महत्व आइए जानते हैं...

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शीतला सातम का महत्व (Shitala Satam Ka Mahatva)

शीतला सातम का त्योहार गुजरात में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन मां शीतला की आराधना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी महिला विधिवत माता शीतला की पूजा करती है तो उसे और उसके परिवार को मां शीतला खसरा और चेचक जैसे भयानक रोगों से बचाती है। 

इसी कारण से इन दिन लोगो अपने परिवार के साथ मिलकर शीतला सातम अनुष्ठान का विधिवत पालन करते हैं। माता शीतला की पूजा में कभी भी ताजा भोजन नहीं बनाया जाता। इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और उसे ही परिवार के साथ मिलकर ग्रहण किया जाता है। 

इसलिए महिलाएं शीतला सातम से एक दिन पहले ही यानी षष्ठी तिथि को ही भोजन बना लेती हैं और सप्तमी तिथि को माता शीतला की पूजा करने के बाद उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं।


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