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Gangaur Puja Significance: जानिए गणगौर पूजा का महत्व


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Gangaur Puja Significance

Gangaur Puja Significance: गणगौर का त्यौहार (Gangaur Festival) राजस्थान के सबसे रंगीन और प्रमुख त्यौहारों में से एक है। गणगौर राजस्थान के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में भी मनाया जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, गणगौर-गण का अर्थ भगवान शिव (Lord Shiva) और गौर का अर्थ गौरी या पार्वती (Goddess Parvati) है। यह त्यौहार भगवान शिव और देवी पार्वती के साहचर्य की महिमा में मनाया जाता है।

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इस उत्सव में विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति की भलाई और खुशी के लिए गौरी की पूजा करती हैं, जबकि अविवाहित महिलाएं मनचाहा पति पाने के लिए उनकी पूजा करती हैं। इसके अलावा और क्या है गणगौर पूजा का महत्व आइए जानते हैं...

गणगौर पूजा का महत्व (Gangaur Puja Importance) 

होली के दूसरे दिन यानी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गणगौर पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को मुख्य रूप से राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। राजस्थान में यह त्योहार 18 दिनों तक तो वहीं मध्य प्रदेश में यह त्योहार 3 दिनों तक मनाया जाता है। गणगौर पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को सदा सुहागन रहने का वरदान दिया था।

इसी कारण से जो भी सुहागन स्त्री इस व्रत को करती है उसे भी सदा सुहागन रहने का वरदान प्राप्त होता है। गणगौर पूजा के इस व्रत को सुहागन स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए तो वहीं कुंवारी लड़कियां सुयोग्य वर पाने के लिए इस व्रत को करती हैं। इस त्योहार में कुंवारी लड़कियां और शादीशुदा महिलाएं प्रत्येक दिन गणगौर की पूजा करती हैं। यह त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि तक मनाया जाता है।

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को सिंजारा कहा जाता है। महिलाएं इस दिन नदी,सरोवर, तालाब पर जाकर अपने गणगौर को पानी पिलाती हैं और तीज के दिन शाम के समय उनका विसर्जन करती हैं। वहीं मध्य प्रदेश की बात करें तो इस राज्य में यह त्योहार तीन दिनों तक मनाया जाता है और तीसरे दिन ही महिलाएं अपने गणगौर का विसर्जन कर देती हैं।


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