Ganga Saptami 2025 Mein Kab Hai |
Ganga Saptami 2025 Mein Kab Hai: गंगा सप्तमी के त्योहार (Ganga Saptami Festival) को हिंदू धर्म में अत्यंत ही विशेष माना जाता है। क्योंकि इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से भगवान शिव की जटाओं में आई थीं। माना जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति गंगा नदी में स्नान कर लेता है, उसके जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं तो बिना किसी देरी के चलिए जानते हैं गंगा सप्तमी 2025 में कब है (Ganga Saptami 2025 Mein Kab Hai), गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त (Ganga Saptami Shubh Muhurat)
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गंगा सप्तमी 2025 की तिथि (Ganga Saptami 2025 Date)
3 मई 2025
गंगा सप्तमी 2025 शुभ मुहूर्त (Ganga Saptami 2025 Shubh Muhurat)
गंगा सप्तमी मध्याह्न मूहूर्त - सुबह 10 बजकर 58 मिनट से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक (3 मई 2025)
सप्तमी तिथि प्रारम्भ - सुबह 7 बजकर 51 मिनट से (3 मई 2025)
सप्तमी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 7 बजे 18 मिनट तक (4 मई 2025)
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गंगा सप्तमी की कथा (Ganga Saptami Story)
गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा इस धरती पर अवतरित हुई थीं। गंगा का प्रवाह इतना तेज था कि गंगा के पाताल में समा जाने या इस धरती पर असंतुलित होने का खतरा था। इस कारण महादेव शिव ने गंगा को अपने बालों में समाहित कर लिया।
कुछ समय बाद, महादेव शिव ने गंगा को अपने बालों से मुक्त कर दिया, ताकि गंगा भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष दे सके। गंगा भगीरथ के बताए मार्ग पर चलने लगी। रास्ते में गंगा के प्रचंड वेग से जाह्नु ऋषि का आश्रम नष्ट हो गया। इससे ऋषि जाह्नु क्रोधित हो गए। उन्होंने पूरा गंगा जल पी लिया।
इस घटना के बाद, भगीरथ और अन्य देवताओं ने गंगा को मुक्त करने के लिए ऋषि जाह्नु से प्रार्थना की ताकि गंगा इस दुनिया के लोगों का कल्याण कर सके। इस पर जाह्नु ऋषि ने अपने कान से बहकर गंगा को मुक्त किया और गंगा अपने पथ पर चलती रही।
धार्मिक कथाओं के अनुसार ऋषि जाह्नु ने वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा को मुक्त किया था। इस कारण इस दिन को गंगा का पुनर्जन्म भी कहा जाता है और इसे गंगा जयंती और जाह्नु सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। इस घटना के कारण गंगा का एक नाम ऋषि जाह्नु की पुत्री जाह्नवी भी है।
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